दोस्तों यह Short Moral Story in Hindi for Kids हर उस बच्चे के लिए है जिसे आप सिखाना चाहते हैं कि लालच बुरी बला है।
इस Short Moral Story in Hindi for Kids कहानी से आप बहुत अच्छे से समझ पाएंगे कि लालच कितनी बुरी बला है। और हमें लालच कभी भी नहीं करना चाहिए। यह कहानी लालच पर निर्धारित है और यह कहानी (short moral story) हमें सिखाती है कि लालच करने से हमारा ही नुक्सान होता है।
Short Moral Story in Hindi for Kids | लालची दोस्त
नेहरापुर गाँव में रोहन और भूरा नाम के 2 बहुत अच्छे मित्र रहते थे। दोनों में बहुत ही अच्छी और गहरी मित्रता थी।
जहाँ एक तरफ रोहन बहुत ही इमानदार और सीधे रास्ते चलने वाला इंसान था, वहीँ उसका दोस्त भूरा पूरी तरह लालची था।
दोस्त होने के नाते रोहन उसे बहुत समझाता था लालच ना करने को, पर भूरे पर तो जैसे हर वक़्त लालच का भूत ही सवार रहता था। रोहन ने उसे बहुत समझाया लेकिन भूरा कभी रोहन की बात नहीं मानता था।
एक बार खेत में काम करते हुए भूरे के 90 रूपए कहीं खो गए। भूरे ने 3 घंटे अपने पैसे ढूँढने की कोशिश की, मगर वो असफल ही रहा। भूरे को उसके 90 रूपए नहीं मिले।
वह बहुत ही दुखी, बहुत ही परेशान हुआ और अपना दिल, अपना दुःख हल्का करने के लिए, दुःख बांटने के लिए अपने दोस्त रोहन के घर चला गया।
अपने मित्र को परेशान देख कर रोहन ने भूरे को समझाने की, खुश करने की और दिलासा देने की बहुत ही कोशिश की, बहुत से प्रयास किये। अंत में भूरा बुझे मन से वापिस घर को चल दिया।
Short Moral Story in Hindi for Kids
रोहन का छोटा बेटा स्कूल से वापिस आया और उसने अपने पिताजी को 90 रूपए दिए और बताया कि उसे खेत में 90 रूपए पड़े मिले। उसके स्कूल का रास्ता भूरे के खेत के बीच से हो कर निकलता था। इसीलिए भूरे के खेत को पार करके उसे स्कूल जाना पड़ता था।
रोहन झट से खुश हो कर भूरे के घर की और भगा। भूरे को पूरी बात बताई और उसे उसके 90 रूपए लौटाए यह सोच कर कि भूरा खुश होगा। पर 90 रूपए वापिस उसके हाथ में मिलते ही भूरे का लालच जाग उठा और भूरा बोला कि अरे भाई मेरे तो 100 रूपए खोये थे, ये तो केवल 90 हैं। मेरे बाकी के 10 रूपए कहाँ हैं?
भूरे ने सोचा कि थोडा सा गुस्सा, थोडा सा नाटक करूँगा तो 10 रूपए निकलवा लूँगा और मेरे पास पूरे 100 रूपए हो जायेंगे।
रोहन ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, कि मेरे बेटे को खेत से गुज़रते हुए केवल 90 रूपए ही मिले हैं, अगर उसे 100 रूपए मिले होते तो वो मुझे 100 ही देता और मैं तुम्हे भी तुम्हारे वही पैसे, वैसे के वैसे ही लौटा देता। पर भूरे ने उसकी एक न सुनी। वह अपनी जिद पर ही अड़ा रहा।
भूरे का लालच इतना बड गया कि वह पंचायत में चला गया और वहां उसने रोहन की और उसके बेटे की शिकायत कर दी कि इन दोनों ने उसके 10 रूपए खा लिए।
पंचायत और पूरा गाँव इकठ्ठा हो गया और पंचायत रोहन और उसके बेटे से सवाल पूछने लगे। उसपर रोहन ने बोला कि अगर उसे पैसे खाने ही होते, चोरी करनी ही होती तो वो 90 रूपए भी क्यूँ लौटाता? पूरे 100 रूपए ही ना रख लेता? उसने पंचायत को बताया कि उसके बेटे को केवल 90 ही मिले थे 100 नहीं, और ज्यों के त्यों उसने वो पैसे भूरे को लौटा दिए।
भूरे के लालच के बारे में पूरा गाँव जानता था। पंचायत के लिए समझने कोई मुश्किल बात नहीं थी कि भूरा ही हो न हो झूठ बोल रहा था। पर पंचायत को सबूतों के आधार पर फैंसला सुनाना था।
पंचायत में एक मुखिया को एक उपाय, एक तरकीब सूझी। उसें बाकी के मुखियों के साथ कुछ देर बात की और फिर पंचायत ने अपना निर्णय सुनाया।
पंचायत ने कहा कि जैसा कि भूरे का कहना है कि उसके 100 रूपए खोये हैं, 90 नहीं। और रोहन के बेटे को 90 रूपए मिले हैं 100 नहीं। इसका मतलब ये हुआ कि यह 90 रूपए भूरे के नहीं हैं। भूरे के होते तो पूरे 100 होते।
इसके बाद पंचायत ने कहा कि भूरे से 90 रूपए ले लिए जाएं और जिसके भी 90 रूपए खोये हैं वो आ कर अपने पैसे ले ले। और यह भी निर्देश दिया जाता है कि जिसे भी भूरे के 100 रूपए मिलें, वो भूरे को उसके पैसे वापिस कर दे।
Short Moral Story in Hindi for Kids
पंचायत का यह फैंसला सुन कर तो भूरे के होश ही उड गए। वह एक दम से आगे आकर रोने लगा और माफ़ी मांगने लगा पंचायत से और अपने मित्र से और उसने मान लिया सबके सामने कि वह झूठ बोल रहा था। वह बहुत माफ़ी मांग कर कहने लगा कि उसे उसके 90 रूपए वापिस दे दिए जाएं। पर अब पंचायत कुछ सुनने को तैयार नहीं थी।
अब भूरा करता भी तो क्या। रोने के सिवा उसके पास कोई रास्ता नहीं था। वह एक बहुत बड़ा सबक सीख चूका था।
पैसे खोए तो खोए, पर सारे गाँव के सामने अपनी इज्ज़त भी खोई, भरोसा भी खोया और एक अच्छा दोस्त भी खोया। यह सब किस वजह से? – केवल लालच की वजह से।
दोस्तों इस short moral story in Hindi से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी परिस्थिति में हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। जहाँ लालच आता है वहां झूठ भी जन्म लेता था। ना तो हमें कभी झूठ बोलना चाहिए और ना ही लालच करना चाहिए। क्यूंकि यह दोनों इंसान के बहुत ही बड़े दुश्मन हैं जो कि इंसान को अंत में नुक्सान व परेशानी में डालते हैं साथ ही इंसान का सुख चैन भी छीन लेते हैं। हम सभी को आज यह संकल्प लेना चाहिए कि हम झूठ और लालच का सहारा कभी नहीं लेंगे।
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