सकारात्मक सोच की शक्ति कैसे काम करती है? – Power of Positive Thinking in Hindi

सकारात्मक सोच की शक्ति - Power of Positive Thinking in Hindi

आज लगभग सारी दुनिया नकारात्मक विचारों से घिरी हुई है. खिन्नता, तनाव, परेशानी इतनी बढ़ गयी है कि छोटे-छोटे बच्चों को भी इस बेचैनी ने नहीं छोड़ा. इसीलिए आज हम बात करेंगे सकारात्मक सोच की शक्ति – Power of Positive Thinking in Hindi के बारे में. साथ ही Esther Hicks और Abraham Hicks के वैज्ञानिक अध्ययन और उदाहरणों के आधार पर सिद्ध कुछ तथ्यों के बारे में भी.

मुझे लगता है आप मेरी इस बात से ज़रूर सहमत होंगे कि सकारात्मक सोच की शक्ति उल्लेखनीय है.

“आपका दिमाग आप की दुनिया बदल सकता है” – एक तरह से देखा जाए तो इस विचार का सच होना बहुत अच्छा लगता है.

मैंने अनुभव किया है और मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि सकारात्मक विचारों पर ध्यान केंद्रित करना क्या कुछ नहीं कर सकता आपके लिए, आपके जीवन में.

सकारात्मक सोच की शक्ति – Power of Positive Thinking in Hindi

सबसे पहले तो मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहूँगा कि क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि सफल और खुश लोग दिन भर में क्या-क्या और किस बारे में सोचते होंगे.

Napoleon Hill बताते हैं का जवाब बहुत ही सरल है:

सफल, स्वस्थ और खुश लोग अपना ज्यादातर समय सिर्फ यही सोचने में व्यतीत करते हैं, सारा ध्यान इसी पर (सकारात्मक सोच की और) लगाते हैं कि वो क्या चाहते हैं, और जो कुछ वो चाहते हैं उसे प्राप्त करने के लिए वो क्या करें.

जबकि हम अपना ज्यादातर समय नकारात्मक सोच के साथ, बस यही सोचने में व्यतीत करते हैं कि जो हम चाहते हैं उसे क्यों नहीं पा रहे हैं, क्यों बुरा हुआ हमारे साथ, आगे और कितना बुरा होगा, क्या नहीं मिला, क्यों नहीं मिला – सभी विचार नकारात्मकता से भरे हुए.

भावार्थ यह है कि हमारी सोच ज्यादातर नकारात्मक विचारों पर ही केंद्रित रहती है जिस कारण हम सिर्फ नकारात्मकता को ही आकर्षित करते हैं अपने जीवन में. लॉ ऑफ अट्रैक्शन – Law of Attraction भी यही कहता है. लॉ ऑफ अट्रैक्शन की साइंस के अनुसार आप जो सोचते हैं वह बन जाते हैं, दिन भर में जिस तरह के विचार आपके मन में, आपके भीतर चलते हैं उसी तरह की ऊर्जा को आप आकर्षित करते हैं अपनी ओर.

इसी तरह एक सकारात्मक दृष्टिकोण को विकसित करना वास्तव में आपके पूरे जीवन को बदल सकता है.

जब आप सोचते हैं और इसके बारे में बात करते हैं कि आप क्या चाहते हैं और जो आप चाहते हैं उसे कैसे प्राप्त करें, तो आप अपने जीवन को अधिक खुश और नियंत्रित महसूस करते हैं।

जब आप किसी ऐसी चीज़ के बारे में सोचते हैं जो आपको खुश करती है, तो आपका मस्तिष्क वास्तव में एंडोर्फिन केमिकल को मुक्त करता है, जो आपको खुश और संतुष्ट होने का एहसास दिलाता है।

परिणाम स्वरूप, आप एक और बेहतर सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करते हैं।

इसीलिए कहा जाता है कि आपको क्या नहीं मिला, क्यों नहीं मिला, कैसे नहीं मिला – के बजाय आप यह सोचे कि – आपको क्या चाहिए, कैसे उसे हासिल किया जाए, कैसे पाया जाए, किस तरह से किस तरकीब को अपनाया जाए उसे पाने के लिए, कितनी मेहनत की जरूरत है उसे पाने के लिए, व जब मैं पा लूँगा उस लक्ष्य को तब मैं क्या करूँगा. 

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सकारात्मक सोच की शक्ति कैसे काम करती है?

Esther Hicks और Abraham Hicks के वैज्ञानिक अध्ययन और उदाहरणों के आधार पर यह तथ्य सिद्ध हुआ है और वे यह बताते हैं कि शक्ति – सकारात्मक सोच या नकारात्मक सोच में नहीं है. बल्कि शक्ति तो सोच में होती है.

सबसे पहले तो हम यह समझें के हमें सोच (thoughts) मिलते कहाँ से हैं?

Esther Hicks और Abraham Hicks बताते हैं कि ब्रह्माण्ड की एक लाइब्रेरी है (Universal Library) और हम जितने भी thoughts / विचार लेते हैं वो सब के सब उसी लाइब्रेरी से ही आते है. उससे बहार कुछ भी नहीं है.

उनके वैज्ञानिक अध्ययन और उदाहरणों के आधार पर जो तथ्य सिद्ध हुआ है वह कहता है कि आप जो भी विचार (चाहे सकारात्मक या नकारात्मक) 45 seconds से ज्यादा समय तक पकड़ कर रखते हैं. या यूँ कहिये कि आप जिस भी विचार के बारे में सोचना शुरू करते हैं, आपकी सोच की शक्ति, उसी तरह के और विचारों को ब्रह्माण्ड की लाइब्रेरी (Universal Library) से आकर्षित करती है. और आपके चारों और उसी तरह की उर्जा बढ़ने लगती है.

अब चाहे आप सकारात्मक सोचें या नकारात्मक, यह उर्जा विश्लेषण, भेद भाव या सही गलत नहीं जानती. यह उर्जा सिर्फ उस एक विचार के जैसे और विचारों को आकर्षित कर उन्हें शक्ति प्रदान करती है.

इसीलिए कहा जाता है कि हमेशा सकारात्मक सोचें. क्यूंकि, जब भी आप सकारात्मक सोचना शुरू करते हैं, तो आपकी सोच की शक्ति Universal Library से उसी ढंग के, उसी प्रकार के और बहुत से विचारों को आकर्षित करके उनमें उर्जा बढ़ाती है.

और इसीलिए आपने ज़रूर महसूस किया होगा के जब कभी भी आप नकारात्मक होते हैं, तो होते ही चले जाते हैं.

यही वजह है कि आप जिस तरह के भी सोच / विचार का चयन करते हैं, उसकी उर्जा, उसकी शक्ति बढ़ने लगती है और अंततः आप अपने जीवन में वही सब आकर्षित करने लगते हैं.

इसीलिए दोस्तों, चाहे जितनी भी परेशानी आजाए, चाहे जो होजाए, हमेशा कोशिश करिए कि चाहे ज़बरदस्ती ही सही, एक दृश्य, एक विचार, एक सोच सकारात्मकता से भरी हुई पर अपना सारा ध्यान केन्द्रित करने की कोशिश करें. यकीन मानिए के आपके 21 दिनों के ऐसा करने के अभ्यास से आपका जीवन एक नया मोड़, एक नयी दिशा की और चल पढ़ेगा.

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सकारात्मक सोच की शक्ति कैसे काम करती है?

Bumble-bee – भंवरे की सकारात्मक सोच की शक्ति

दोस्तों वैज्ञानिकों के अनुसार एक भंवरे का शरीर बहुत भारी होता है. इसलिए विज्ञान के नियमों के अनुसार वह उड़ नहीं सकता. लेकिन भंवरे को इस बात का पता नहीं होता. और वो यह मानता है कि वह उड़ सकता है. इसलिए वह बार-बार लगातार कोशिश करते जाता है और इतनी बार असफल होने के बावजूद वह हार नहीं मानता. क्योंकि वह यह सोचता है कि वह उड़ सकता है, अंततः वह उड़ने में सफल हो ही जाता है.

दोस्तों इस जीवन में नामुमकिन कुछ भी नहीं है.

नामुमकिन शब्द मनुष्य का ही इजाद किया हुआ.

जब टेलीफोन और रेडियो आदि का आविष्कार नहीं हुआ था, तब दुनिया और विज्ञान यही मानते थे कि आवाज को कुछ ही समय में सैकड़ों किलोमीटर पहुंचाना नामुमकिन है. लेकिन आज मोबाइल / टेलीफोन हमारे जीवन का एक बहुत अहम हिस्सा बन चुका है.

इसी तरह जब विमान का आविष्कार नहीं हुआ था तब तक जगह यही मानता था कि मनुष्य के लिए आकाश में उड़ना संभव नहीं है. लेकिन आज हम सब जानते हैं कि यह असंभव संभव में बदल चुका है.

हाथी की सोच की शक्ति

जब हाथी का बच्चा छोटा होता है तब उसे पतली और कमजोर रस्सी से बांधा जाता है. हाथी का बच्चा छोटा और कमजोर होने के कारण उस रस्सी को तोड़कर भाग नहीं सकता.

लेकिन जब वही हाथी का बच्चा बड़ा और शक्तिशाली हो जाता है तो भी उसे पतली और कमजोर रस्सी से ही बांधा जाता है, जिसे वह आसानी से तोड़ सकता है लेकिन तोड़ता नहीं है. और बंधा ही रहता है.

क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है?

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब हाथी का बच्चा छोटा होता है तब वह बार-बार रस्सी को छुड़ाकर भागने की कोशिश करता है. लेकिन वह कमजोर होने के कारण उस पतली रस्सी को तोड नहीं सकता और भाग नहीं पाता. और आखिरकार यह मान लेता है कि वह कभी भी इस रस्सी को तोड़ नहीं सकता.

हाथी का बच्चा बड़ा हो जाने पर भी यही सोचता है कि वह उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता. और इसी वजह से, अपनी इसी सोच की वजह से वह कभी कोशिश ही नहीं करता.

इसी कारण वह एक गलत मान्यता, गलत धारणा, गलत मानसिकता के कारण एक छोटी और पतली रस्सी से ही बंधा रहता है. जबकि वह दुनिया के सबसे ताकतवर व सबसे शक्तिशाली जानवरों में से एक है. 

Power of Positive Thinking in Hindi - Cricket

Power of Positive Thinking – Cricket

चलिए इसी तरह क्रिकेट की बात ले लीजिए.

वनडे क्रिकेट के इतने बड़े इतिहास में वर्ष 2010 तक एक भी दोहरा शतक नहीं लगा. लेकिन 2010 में सचिन तेंदुलकर के दोहरा शतक लगाने के चार-पांच वर्षों में ही 7 और दोहरे शतक लग गए.

क्या यह मात्र संयोग था?

ऐसा क्यों और कैसे हुआ?

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 2010 से पहले जब किसी ने दोहरा शतक नहीं लगाया था कब तक सभी की मानसिकता यही थी कि दौरान शतक लगाना बहुत मुश्किल है या शायद नामुमकिन है. क्योंकि अभी तक इस रिकॉर्ड को किसी ने नहीं तोड़ा था. तो यह नामुमकिन सा लगता था.

लेकिन जब सचिन ने दोहरा शतक लगाया तो सभी की मानसिकता ही बदल गई. और तुम सबको यही लगने लगा कि दोहरा शतक लगाना बेशक मुश्किल है मगर नामुमकिन नहीं.

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सकारात्मक सोच की शक्ति का निष्कर्ष

इस दुनिया में नामुमकिन कुछ भी नहीं है. नामुमकिन सिर्फ एक भ्रम या हमारी गलत मान्यता है जो अंत में गलत साबित होती ही है.

सच तो यह है कि हम वह सब कर सकते हैं जो हम सोच सकते हैं. और हम वह सब सोच सकते हैं जो हमने आज तक नहीं सोचा.

हम गलत धारणाएं बना लेते हैं और सिर्फ इसी कारण हमें कोई भी कार्य मुश्किल या असंभव लगता है.

आज हम जो भी हैं हमारी खुद की अपनी सोच का परिणाम हैं. हम जैसा सोचते (सकारात्मक या नकारात्मक) हैं वैसा ही हम बन जाते हैं. असंभव या नामुमकिन सिर्फ हमारी सोच का ही परिणाम है.

हमारे साथ वैसा ही होता है जैसा हम सोचते हैं और विश्वास करते हैं. भंवरा – विज्ञान के नियमों के अनुसार उड़ नहीं सकता. लेकिन वह मानता है कि वह उड़ सकता है, इसीलिए वह उड़ पाता है.

दुनिया का सबसे शक्तिशाली जानवर, एक विशाल हाथी, एक पतली और कमजोर रस्सी को बहुत आसानी से तोड़ सकता है, लेकिन वह यह मानता है कि वह इस रस्सी को तोड़ नहीं सकता, इसलिए वह रस्सी को नहीं तोड़ पाता.

अब यह हम पर निर्भर करता है कि हमें उस हाथी की तरह अपनी सोच का गुलाम बने रहना है या उस भंवरे की तरह अपनी सोच को सकारात्मक करके स्वतंत्र बने रहना है.

अगर हम मानते हैं और स्वयं पर विश्वास करते हैं कि हम कुछ भी कर सकते हैं तो हमारे लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है. यहां तक कि इस सकारात्मक सोच के कारण सभी परिस्थितियां हमारा साथ देने के लिए तत्पर होंगी.

सकारात्मक सोच का चयन बदल देगा आपका पूरा जीवन – गारंटी के साथ. यही है सकारात्मक सोच की शक्ति – Power of Positive Thinking.

मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको यह पोस्ट “सकारात्मक सोच की शक्ति – Power of Positive Thinking” अच्छा लगा हो और आपको कुछ सीखने को मिला हो. साथ ही मैं उम्मीद करता हूँ कि आप हमेशा सकारात्मक रहने की कोशिश करेंगे.


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