सबसे पहले जानिये मूलाधार चक्र के स्थान के बारे में। मूलाधार चक्र मेरु दंड के सबसे निचले स्थान में ही स्थित होता है। और अब अगर हम इसके मूल मंत्र की बात करें, जिसे जप कर या सिर्फ सुन कर हम मूलाधार चक्र को जागृत कर सकते हैं, तो इसका मंत्र है: “लं” “LAM”
मूलाधार चक्र को जागृत करने के लिए सुबह सुबह कम से कम 15 से 20 मिनट तक प्राणायाम करें। प्राणायाम बहुत ज़रूरी है इस चक्र के लिए। उसके बाद लं मंत्र का जप (उच्चारण) करें और अपना सारा ध्यान धीरे धीरे इस मंत्र की ध्वनि पर केंद्रित करें।
यह करने से सबसे पहला काम तो ये होगा की आपकी ज़िन्दगी से लालच बिलकुल ही गायब हो जायेगा और आप संतुष्टि का अनुभव करने लगेंगे। उसके बाद धीरे-धीरे आपको आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति होगी और आप स्वयं के ज्ञान से पूर्णतः जागरूक हो जायेंगे। मूलाधार चक्र आपको आपकी ज़िम्मेदारी लेने और पूरी तरह समझने के काबिल बनाता है, होंसले दृढ़ करता है और शरीर में संचालित रूप से दिव्य ऊर्जा का संचार करता है।
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जैसा की हमने बताया की मूलाधार चक्र आपके शरीर में एक दिव्य ऊर्जा को प्रकट करता है, इसी दिव्य ऊर्जा शक्ति को आप कुण्डलिनी शक्ति के नाम से भी जानते हैं। यह कुण्डलिनी शक्ति मूलाधार चक्र में स्थित होती है और वहीँ पर अचेत अवस्था में स्थित होती है। मूलाधार चक्र बिलकुल लिंग और गुदा के बीच में स्थित होता है।
मूलाधार चक्र की शक्तियां (The Powers of Muladhara Chakra)
मूलाधार चक्र में स्थित कुण्डलिनी शक्ति को ब्रह्माण्ड की निर्माण शक्ति के बराबर माना गया है। यह चक्र मूल कारण है पूरे विश्व (संसार) का। जीवन की उत्पत्ति, पालना और विनाश इसी शक्ति के द्वारा होता व किया जाता है। उत्पत्ति, पालना और विनाश, तीनो को एहि शक्ति संचालित करती है। मूलाधार चक्र में आप अनुभव कर पाएंगे 4 पंखुड़ियों वाले कमल का। और इसका रंग होता है लाल।
अगर आप किसी भी प्राणी के जीवन की और देखें तो उसमें 4 का बहुत ही महत्व है। मूलाधार चक्र के कमल की ये 4 पंखुड़ियां भी इस पृथ्वी की 4 दिशाओं की और इशारा करती हैं। मूलाधार चक्र पर स्थित होती हैं हमारे शरीर की 4 महत्वपूर्ण नाड़ियां और ये नाड़ियां आपस में मिली होती है तभी इस चक्र के आकार की रचना हो पाती है जो की 4 पंखुड़ियों के सामान होती है।
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मूलाधार चक्र में जिन 4 ध्वनियों का उल्लेख किया गया है वो 4 ध्वनियाँ हैं: वं, शं, षं, सं । इन ध्वनियों से एक वाइब्रेशन निकलती है हर समय जो की हमारे ह्रदय और मस्तिष्क में ऊर्जा जागृत करती हैं। यही ध्वनियाँ ही हमारे शरीर को पूरी तरह स्वस्थ रखती हैं और सञ्चालन में मदद करती हैं।
मूलाधार चक्र से ही हम अपने शरीर में या से शब्दों को, गंध, स्पर्श, भाव, रंग, रास, रूप आदि का अनुभव कर पाते हैं। हमारे शरीर में अपां वायु का केंद्र है ये चक्र और साथ ही वीर्य और मल-मूत्र को यही चक्र संचालित करता है।
व्यक्ति की पीठ (रिड की हड्डी) ही एक मात्र शक्ति का केंद्र है, चाहे वो जीवन शक्ति हो, मूलाधार चक्र शक्ति हो, कुंडलिनी शक्ति हो या चाहे परमचैतन्य शक्ति हो। इसी केंद्र से ही व्यक्ति की मानसिक शक्ति का विकास होता है।
मूलाधार चक्र जागृत करने की विधि
पृथ्वी तत्त्व ही एक प्रतीक है इस मूलाधार चक्र का। गंध भी आप कह सकते हैं पृथ्वी तत्त्व को। अगर आपको अपनी इच्छा शक्ति को जागृत करना हो तो आप सारा ध्यान अपने मूलाधार चक्र पर लाएं और साधना करें। मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करने से, मंत्र उच्चारण करने से आप अपनी इच्छा शक्ति को जागृत कर सकते हैं, सवस्थ रह पाएंगे और ज्ञान के द्वार खोल सकते हैं।
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मूलाधार चक्र की शक्तियों का हम अनुमान भी नहीं लगा सकते, जैसा की हमने ऊपर बताया की ब्रह्माण्ड की शक्ति को मूलाधार चक्र की शक्तियों के बराबर माना गया है। तो इसी बात से आप समझ सकते हैं की क्या और कितनी होगी मूलाधार चक्र की शक्तियां (Muladhara Chakra Powers)
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muladhar bej mantra ko kam se kam kitni bar japa jay ,
Muladhara Chakra ko activate ya balance karne ke liye aap jitna zyada japenge utna zyada badiya hoga. Kyunki jitna zyada jap hoga, utni hi jaldi Muladhara Chakra activate hoga.
मूलाधार चक्र का मंत्र जपते समय कहा ध्यान दे?
मूलाधार चक्र का मंत्र जपते समय या तो अपनी Eyebrows के बीच में (Third Eye) पर या फिर अपनी नाभि के नीचे ध्यान केन्द्रित करें.