क्या आपको भी येही लगता है कि एक ही मकान में अगर एक किरायदार 12 साल बिताये तो भी उसका उस मंकान का मालिक बनना आसान नहीं है। अगर आपकी भी येही सोच है तो यह article आपके लिए बहुत ही ज़रूरी है। क्यूंकि हम आपको यहाँ यह बताना चाहेंगे कि एक ऐसी गलती है तो अगर मकान मालिक करे तो किरायदार बहुत आसानी से उस मकान को अपना बना सकता है। तो चलिए प्रॉपर्टी एक्सपर्ट्स की मदद से हम कुछ किराये पर मकान देने के कुछ नियमों को समझते हैं तो आप सभी के काम आने वाले हैं।
जिसके पास भी पैसा है इन्वेस्ट करने के लिए तो हम सभी जानते हैं कि खासकर भारत में अगर कोई पैसा इनवेस्ट करता है तो सबसे पहले चयन वह प्रॉपर्टी का करता है। भारत में अगर देखा जाए तो सबसे ज्यादा निवेशक और इन्वेस्टमेंट ज्यादातर प्रॉपर्टीज में होता है। भारत में ज्यादातर जितने भी बड़े शहर हैं जैसे कि दिल्ली मुंबई बेंगलुरु पुणे महाराष्ट्र और भी बहुत से उन सभी शहरों के लोग ज्यादातर इन्वेस्टमेंट करते हैं प्रॉपर्टी प्रॉपर्टी में।
वे कोई दुकान लेते हैं या कोई जमीन फ्लैट या फिर एक घर लेकर उसे किराए पर चढ़ा देते हैं ताकि वहां से घर बैठे उनका किराया प्राप्त हो सके हर महीने के महीने। आपने भी यह जरूर देखा होगा या आपके भी देखने में यह आया होगा कि कुछ मकान मालिक या दुकान मालिक अपने किराएदारों पर पूरी तरह नजर रखते हैं और जानकारी प्राप्त करके रखते हैं पर वही आपने कुछ ऐसे मालिक भी देखे होंगे जिन्होंने अपना घर दुकान या जमीन किराए पर तो चढ़ा दी, पर वे ज्यादा नजर नहीं रखते या रख पाते।
उन्हें केवल मतलब होता है कि उनके अकाउंट में हर महीने उनकी प्रॉपर्टी का किराया आ जाना चाहिए। लेकिन अगर नियमों के अनुसार और कायदे से देखा जाए तो एक मकान मालिक को बहुत ही जरूरत होती है पूरा ध्यान रखने की अपनी प्रॉपर्टी को किराए पर चढ़ने से पहले और किराए पर चढ़ने के बाद भी।
अगर आप भी एक मालिक है किसी प्रॉपर्टी के और आपने अपनी एक प्रॉपर्टी किराए पर चढ़ाई है तो चढ़ाने से पहले और चढ़ने के बाद आपको पूरा ध्यान रखना चाहिए अपने किराएदार पर और कुछ नियमों पर कुछ बातों पर।
अपनी किसी भी प्रॉपर्टी को किराए पर चढ़ा देने से आपको हर महीने उसका किराया तो आता है हर महीने आपकी इनकम और अकाउंट में अमाउंट तो बढ़ता है बेशक। मगर यहां हम यह भी बताना चाहते हैं कि आप को बहुत सावधानी रखनी चाहिए अपनी किसी भी प्रॉपर्टी को किराए पर चढ़ते वक्त क्योंकि यह बहुत बार आपके लिए रिस्की भी हो सकता है।
क्योंकि कई बार प्रॉपर्टी के मालिकों से कुछ ऐसे नियम का उल्लंघन हो जाता है या कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं या हो सकती हैं जिसकी वजह से किराएदार अपना हक और अपना कब्जा जमा सकता है आप ही की प्रॉपर्टी पर। इसीलिए अगर आप अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देना चाहते हैं तो अपनी प्रॉपर्टी को किराए पर चढ़ने से पहले उससे जुड़े कुछ नियमों को आपको जरूर जान लेना चाहिए और वह भी बहुत ही ध्यान पूर्वक।
बिना नियमों की सही जानकारी के यह भी हो सकता है कि आप कुछ सालों तक तो किराए का आनंद ले रहे हैं मगर कुछ सालों के बाद आप अपने हाथ से मकान ही खो बैठेंगे या अपनी प्रॉपर्टी ही खो बैठेंगे।
क्या एक किराएदार एक ही मकान में 12 साल रहने के बाद मालिक बन सकता है?
प्रॉपर्टी के प्रतिकूल कब्जे के मुताबिक अगर कोई किरायेदार एक ही मकान में 12 साल बीतता है अर्थात 12 साल एक ही मकान में रहता है और उसका किराया भरता है तो 12 साल रहने के बाद वह उसे मकान पर मालिकाना हक जाता सकता है और दावा कर सकता है।
हालांकि यह इतना सरल और इतना आसान नहीं है क्योंकि बहुत से नियम और कायदे और शर्तें इसके साथ जुड़ी हुई है। मगर हम आपको यह आगाह करना चाहते हैं कि यह मुमकिन है और यह हो सकता है।
नियमों, शर्तों को जानने से पहले हम यह जान लेते हैं कि प्रतिकूल कब्जा अर्थात Adverse Possession होता क्या है।
प्रतिकूल कब्जा Adverse Possession क्या है?
अगर एक ही किराएदार 12 साल तक एक ही मकान में रहे और किराया भरत रहे तो क्या 12 साल बाद वह किराएदार मकान पर अपना हक जमा सकता है और प्रॉपर्टी पर कब्जा कर सकता है – यही प्रश्न हमने हाल ही में किया सुप्रीम कोर्ट में प्रेक्टिस करने वाले एडवोकेट करण सक्सेना से। और उनसे बातचीत के दौरान हमें जो भी जानकारी प्राप्त हुई है आज हम यहां आपके साथ उसे सारी जानकारी को शेयर करना चाहेंगे।
एडवोकेट कारण सक्सेना से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि अगर एक किराएदार बिना किसी विवाद या बिना किसी आपत्ती के साधारण रूप से 12 साल एक ही प्रॉपर्टी में रहता है और किराया भरता है 12 साल तक तो एक कानून है जिसे हम कहते हैं Adverse Possession प्रतिकूल कब्जा, और इसका मतलब यह है कि अगर कोई किरायेदार 12 साल तक एक ही मकान में रहता है तो जी हां वह मालिक बनने का हकदार है और मालिक बनने का दवा या अपील कर सकता है।
बातचीत के दौरान एडवोकेट ने और भी खुलासा किया यह बताते हुए कि जब कोई किरायेदार जिस प्रॉपर्टी में रह रहा है और अगर उसे प्रॉपर्टी का मालिक बनना चाहता है तो उसे Adverse Possession फाइल करना होता है और उसी के साथ उसे यह भी साबित करना आवश्यक है कि उसने यह मकान पहली बार किराए पर लेते वक्त उसे मकान का पोजीशन इस इंसान से लिया था जो इंसान इस प्रॉपर्टी का असली मालिक है या था।
इसी के साथ उसकिराएदार को यह भी साबित करना होगा कि उसे प्रॉपर्टी के असली मालिक ने किराएदार के पास पोजीशन रखा बिना किसी आपत्ती या विवाद के उन 12 साल तक, तभी वह उसे प्रॉपर्टी का मालिक बन सकता है और उसे प्रॉपर्टी को हमेशा के लिए अपनी बना सकता है।
इसी के साथ हमें एडवोकेट ने बातचीत के दौरान यह भी बताया कि मकान पर पूरी तरह अगर किराएदार अपना मलिक आना हक साबित करना चाहता है और मालिक बनना चाहता है तो उसे बिजली का बिल के साथ-साथ पानी का बिल उसे प्रॉपर्टी का टैक्स और गवाह हूं के एफिडेविट भी जमा करने पड़ेंगे कोर्ट में।
और अगर कोई किरायेदार ऊपर बताए गए सबूत को और कागज कार्यवाही को पूरा नहीं कर पाता तो वह उसे मकान पर मालिकाना हक साबित नहीं कर पाएगा और वह यह दवा नहीं कर सकता कि वह मकान का मालिक है।
प्रॉपर्टी किराए पर देने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें
हम आपको यह भी बता देना चाहेंगे कि आजकल हम सभी जानते हैं कि एक मालिक अपनी प्रॉपर्टी को किराए पर देना तो चाहता है मगर उसके मन में यह दर जरूर होता है किराएदार को लेकर की कहानी किराएदार कुछ समय पश्चात उसे मकान पर उसे प्रॉपर्टी पर अपना कब्जा न कर ले या खुद मालिकाना दवा न करने लगे जिससे की प्रॉपर्टी के मालिक को कठिनाई हो सकती है।
और अगर आप एक प्रॉपर्टी के मालिक हैं और किराए पर चढ़ना चाहते हैं तो आपको कुछ नियमों को जरूर जान लेना चाहिए और कागजी कार्रवाई जरूर पूरी कर लेनी चाहिए।
सबसे पहली बात तो यह है कि एक रेंट एग्रीमेंट और लीज डीड बनवा लेना सबसे ही बेहतर उपाय होता है और सबसे पहले उपाय होता है अपनी किसी भी प्रॉपर्टी को अगर आपकी राय पर चढ़ना चाहते हैं तो उसके लिए। हम सभी जानते हैं कि रेंट एग्रीमेंट ज्यादातर केवल 11 महीने तक का ही होता है।
अगर आप अपनी प्रॉपर्टी किराए पर चढ़ते हैं और आप रेंट एग्रीमेंट बनवेट हैं तो आपको यह निश्चित जरूर करना चाहिए कि हर 11 महीने बाद अपना रेंट एग्रीमेंट बिना भूले जरूर से जरूर रिन्यू करवा ले। बहुत से लोगों को ऐसा देखा गया है कि बहुत से मालिक और प्रॉपर्टी के मालिक किराए पर चढ़ने के बाद कागजी कार्रवाई से बचने के लिए या फिर कुछ ऐसा कहिए कि रेंट एग्रीमेंट में जो खर्चा आता है उसे रेंट एग्रीमेंट के खर्चे को बचाने के लिए उसे रिन्यू नहीं करते और बचने की कोशिश करते हैं।
इसीलिए यह भी देखा गया है कि इस छोटी सी लापरवाही की वजह से उन्हें बहुत भारी नुकसान कभी-कभी भुगतना पड़ सकता है। रेंट एग्रीमेंट और लीज डीड के मुताबिक ही एक किराएदार मकान मालिक की उसे प्रॉपर्टी या संपत्ति का उपयोग कर सकता है क्योंकि इसी कागजी कार्रवाई में मकान का किराया अवधि और अधिक जानकारी आदि सभी लिखी होती है ताकि मकान मालिक और किराएदार दोनों एक दूसरे की सहमति के हिसाब से नियमों का पालन कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट से बात करते हुए हमें यही पता लगा की बहुत से कैसे उनके पास ऐसे आते हैं जहां मकान मालिक ने कागजी कार्रवाई से बचने के लिए या फिर एग्रीमेंट का खर्चा बचाने की कोशिश में मकान को हमेशा के लिए खो दिया या फिर वापस पाने में बहुत तकलीफ और बहुत पैसा और बहुत वक्त बर्बाद करना पड़ा।
इसीलिए हमें उन्होंने बताया की लीज एग्रीमेंट / रेंट एंग्रीमेंट/ लीज डीड एक मकान मालिक को जरूर से भी जरूर बनवा लेनी चाहिए। ऐसा करने में उसे पैसा बचाने के लिए या कागजी कार्रवाई से बचने के लिए बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए। क्योंकि बाद में यह बहुत बड़ा रूप भी ले सकता है और बहुत नुकसानदायक भी साबित हो सकता है।
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